श्रेष्ठ हिन्दी हाइकु -फरवरी, २०१८
आँखों ने बोये
जब नींद के बीज
उगे सपने
राजीव गोयल
घर बाहर
औरत का संघर्ष
कितने मोर्चे
-सुरंगमा यादव
नारी विमर्श
कहाँ तक सार्थक ?
आकाश पुष्प
-पुष्पा सिन्धी
ग्रहण काल
प्रारम्भ हुआ अब
भगवा रंग
-विष्णु प्रिय पाठ
आंसू की स्याही
औरत लिख रही
आग का गीत
-शिव डोयले
लाल सलोना
मइया दुलारावे
लगा डिठौना
-डॉ. रंजना वर्मा
ख़त तुम्हारा
सिरहाने पे रखा
सपनों भरा
-सुरंगमा यादव
छोटी सी बात
उलझी रह गई
खुली न गाँठ
-सूर्य किरण सोनी
चाबी न ताले
सपनों के महल
बड़े निराले
-बलजीत
धूप का स्पर्श
खिल उठी कलियाँ
महकी फ़िज़ा
-राजीव गोयल
खोलो गवाक्ष
झाँक रही झिरी से
भोर किरण
सुरंगमा यादव
नन्हा दुलारा
छिपा परदे के पीछे
कहता ढूँढो
सुरंगमा यादव
मिटी न प्यास
हो गई ज़िंदगी
खाली गिलास
-सूर्य नारायण गुप्त 'सूर्य'
मेघ बरसे
ठूँठ रहे ठूँठ ही
मूरख जन
सुरंगमा यादव
रंग न रूप,
प्रतिभा से चमके
जीवन धूप
*
मिट्टी न धूल
विश्वास से महके
रिश्तों के फूल
-बलजीत सिंह
पी रही रात
चाँद के सकोरे से
चांदनी जाम
-राजीव गोयल
जैसा ज़हन
हर किसी की होगी
वैसी कहन
-निगम 'राज़'
हवा गुज़री
बांसों के ह्रदय में
बजी बांसुरी
-राजीव गोयल
चन्द्र कलाएं
घटती व बढ़ती
संवेदनाएं
-पुष्पा सिन्धी
हवा ने छुआ
तालाब के दिल में
स्पंदन हुआ
-राजीव गोयल
पिघल गई
माँ की प्रकृति सी
मन की व्यथा
*
छोड़ न पाई
दायित्व, माँ थी न वो
बुद्ध तो नहीं
-प्रियंका वाजपेयी
विनाश खेल
बेपटरी होकर
खेलती रेल
-सुरंगमा यादव
वेलैंटाइन डे
-------------
कान्हा है भोला
कोई भी बहका ले
डरे राधिका
-राजीव गोयल
आँखों में अश्रु
अधरों पर हास
वर्षा में धूप
-सुरंगमा यादव
प्रेम तुम्हारा
मेरी ताक़त और
मेरा ग़रूर
*
प्रेम का पौधा
शुभहा की आंधी में
उड़ा समूल
-सूर्य किरण सोनी
ज़िंदगी जिएँ
भूखे को दो रोटियाँ
'प्रपोज़' करें
-निगम 'राज़'
मेघ रथ से
उतरी जल परी
वसुधा हंसी
राजीव गोयल
हंसी में छिपे
जाने कितने राज़
सोच से परे
-शिव डोयले
दूध क माछी
पड़लि खुद गाढे
अब न नाची
- भीम प्रजापति
(भोजपुरी हाइकु)
जुगल बंदी
---------------
एक लालसा
मृग मरीचिका सी
तुम्हें तलाशे
-सुशील शर्मा
भूला हताशा
चल पडा डगर
लेकर आशा
-सूर्यनारायण 'सूर्य'
---------------
हँसा फागुन
पुष्पित तन मन
बरसे रंग
-पुष्पा सिन्धी
चाँद-सितारे
आओ न किसी दिन
घर हमारे
*
शाम ज्यों ढली
अम्बर में तारों की
झालरें जली
-सूर्य नारायण 'सूर्य'
कड़ी सुरक्षा
सूरज के घेरे में
पृथ्वी की कक्षा
-बलजीत सिंह
नन्हे जुगुनू
धरती के सितारे
मन लुभाते
-डा. रंजना वर्मा
दिल के राज़
चाँद है राज़दार
तन्हा सी रातें
-सुशील शर्मा
छूने को चन्दा
मचलती लहरें
होड़ मचाएं
*
सूरज अस्त
समापन नहीं ये
अल्प विराम
सुरंगमा यादव
मेघ डोली में
बारिश दुल्हनिया
हवा कहार
-राजीव गोयल
माया का मोह
गुड़ में लगा चींटा
जीवन बीता
-सुशील शर्मा
रक्त रंजित
मानवता का मुख
धो रहे आंसू
-सुरंगमा यादव
सुनो तो सही
शान्ति की अभिलाषा
दर्द -ए -दास्ताँ
-नरेन्द्र श्रीवास्तव
प्यार की धारा
जीवन की नैया को
देती सहारा
-बलजीत सिंह
दिल की नाव
प्रेम की सरिता में
ले हिचकोले
-नरेंद्र श्रीवास्तव
चातक प्रेम
आसन्न इंतज़ार
स्वाति की बूँद
-सुशील शर्मा
जुगलबंदी
------------
आद्र नयन
वियोग का विषाद
पिया की याद
-सुशील शर्मा
पिया न पास
नयनों से झरती
मिलन प्यास
-सुरंगमा यादव
---------------
इक ग़ज़ल
खुद के पीछे खड़ी
ज़िंदगी मेरी
*
गहरी प्यास
उजाला शरबत
पी गई रात
-पुष्पा सिन्धी
ऋतु अनंग
रतिवासित अंग
मन मतंग
*
मधुप गान
कलियन वितान
नैनन बान
-सुशील शर्मा
डाली का फूल
नाज़ुक सी ज़िंदगी
करे क़बूल
-बलजीत सिंह
फूलों की बातें
हवा हौले से सुने
बुने कहानी
-पुष्पा सिन्धी
उत्सव बेला
फूलों से सजी खड़ी
बसंत सेना
- रमेश कुमार सोनी
बीते ज़माने
नीली झील की थाह
कोई न जाने
-पुष्पा सिन्धी
भोर मुस्काती
सजा रही अल्पना
फूलों के द्वार
-शिव डोयले
बासंती सिला
भूल जाते मित्रों का
शिकवा गिला
-भीम प्रसाद प्रजापति
नींद न हँसी
पत्थरों के देश में
प्रीत यूं फंसी
- सूर्य नारायण 'सूर्य'
चिर उर्वरा
मिट्टी है रत्नगर्भा
सृजन सर्ग
-सुशील शर्मा
जुगलबंदी
-----------
आंसू से लिखा
पत्र वाँचते रहे
देव पत्थर
-नरेन्द्र श्रीवास्तव
क्या पता कब
देवता बन जाए
कोई पत्थर
-सुरंगमा यादव
--------------
आंधी में धूल
अपना ठौर भूल
हुई बावरी
-सुरंगमा यादव
युगों से खड़े
अधर देहरी पे
शापित गीत
पुष्पा सिन्धी
दीप डंसते
अंधेरों के भुजंग
दम तोड़ते
-राजीव गोयल
जय जवान जय किसान
-------------------------
देश की मिट्टी
प्यार से भरी चिट्ठी
माता ने लिखी
-रंजना वर्मा
खेतों की माटी
चन्दन सी शोभित
कृषक तन
-सुरंगमा यादव
-----------------------
स्वर्गीय डा. भगवतशरण अग्रवाल को उनके ८८वें जन्म दिन पर
श्रृद्धांजलि अर्पित करते हुए सत्रह आखर में उनकी पांच श्रेष्ठ रचनाएं -
धन्य है वर्षा
खेतों में कवितायेँ
बोते किसान
लू से झुलसी
जेठ की दुपहरी
कराहे पंखे
फूला पलाश
यादों के दीप सजा
आया बसंत
पसर गई
सरसों फूली शैया
माघ की धूप
कभी न जीती
मौत से जिंदगानी
हार न मानी
-------------------------------
श्रद्धांजलि
-----------
देव गमन
भगवतशरण
सदा स्मरण
-नरेन्द्र श्रीवास्तव
बुझ गई लौ
अब तो चमकेंगे
तारों में हम
-सुरंगमा यादव
--------------
भोर का फेरा
उजाला नहीं रुका
रोज़ का डेरा
-रमेश कुमार सोनी
भौंरे बावरे
प्रणय रस दूबे
ऐसे सांवरे
-निगम 'राज़'
क्या है संयम
अपने ही विरुद्ध
शाश्वत युद्ध
-राजीव गोयल
रात पूनम
आँगन में चुगता
युगल पंछी
-विष्णु प्रिय पाठक
माथे पे लिखा
कैसे पढ़ती आँखें
भाग्य विधान
*
कहना चाहे
मन कितना कुछ
शब्द तो मिलें
-सुरंगमा यादव
फागुनी फाग
झुर्रीदार गाल पे
खिला गुलाल
-विष्णु प्रिय पाठक
------------------------------------
---------------------समाप्त -------
आँखों ने बोये
जब नींद के बीज
उगे सपने
राजीव गोयल
घर बाहर
औरत का संघर्ष
कितने मोर्चे
-सुरंगमा यादव
नारी विमर्श
कहाँ तक सार्थक ?
आकाश पुष्प
-पुष्पा सिन्धी
ग्रहण काल
प्रारम्भ हुआ अब
भगवा रंग
-विष्णु प्रिय पाठ
आंसू की स्याही
औरत लिख रही
आग का गीत
-शिव डोयले
लाल सलोना
मइया दुलारावे
लगा डिठौना
-डॉ. रंजना वर्मा
ख़त तुम्हारा
सिरहाने पे रखा
सपनों भरा
-सुरंगमा यादव
छोटी सी बात
उलझी रह गई
खुली न गाँठ
-सूर्य किरण सोनी
चाबी न ताले
सपनों के महल
बड़े निराले
-बलजीत
धूप का स्पर्श
खिल उठी कलियाँ
महकी फ़िज़ा
-राजीव गोयल
खोलो गवाक्ष
झाँक रही झिरी से
भोर किरण
सुरंगमा यादव
नन्हा दुलारा
छिपा परदे के पीछे
कहता ढूँढो
सुरंगमा यादव
मिटी न प्यास
हो गई ज़िंदगी
खाली गिलास
-सूर्य नारायण गुप्त 'सूर्य'
मेघ बरसे
ठूँठ रहे ठूँठ ही
मूरख जन
सुरंगमा यादव
रंग न रूप,
प्रतिभा से चमके
जीवन धूप
*
मिट्टी न धूल
विश्वास से महके
रिश्तों के फूल
-बलजीत सिंह
पी रही रात
चाँद के सकोरे से
चांदनी जाम
-राजीव गोयल
जैसा ज़हन
हर किसी की होगी
वैसी कहन
-निगम 'राज़'
हवा गुज़री
बांसों के ह्रदय में
बजी बांसुरी
-राजीव गोयल
चन्द्र कलाएं
घटती व बढ़ती
संवेदनाएं
-पुष्पा सिन्धी
हवा ने छुआ
तालाब के दिल में
स्पंदन हुआ
-राजीव गोयल
पिघल गई
माँ की प्रकृति सी
मन की व्यथा
*
छोड़ न पाई
दायित्व, माँ थी न वो
बुद्ध तो नहीं
-प्रियंका वाजपेयी
विनाश खेल
बेपटरी होकर
खेलती रेल
-सुरंगमा यादव
वेलैंटाइन डे
-------------
कान्हा है भोला
कोई भी बहका ले
डरे राधिका
-राजीव गोयल
आँखों में अश्रु
अधरों पर हास
वर्षा में धूप
-सुरंगमा यादव
प्रेम तुम्हारा
मेरी ताक़त और
मेरा ग़रूर
*
प्रेम का पौधा
शुभहा की आंधी में
उड़ा समूल
-सूर्य किरण सोनी
ज़िंदगी जिएँ
भूखे को दो रोटियाँ
'प्रपोज़' करें
-निगम 'राज़'
मेघ रथ से
उतरी जल परी
वसुधा हंसी
राजीव गोयल
हंसी में छिपे
जाने कितने राज़
सोच से परे
-शिव डोयले
दूध क माछी
पड़लि खुद गाढे
अब न नाची
- भीम प्रजापति
(भोजपुरी हाइकु)
जुगल बंदी
---------------
एक लालसा
मृग मरीचिका सी
तुम्हें तलाशे
-सुशील शर्मा
भूला हताशा
चल पडा डगर
लेकर आशा
-सूर्यनारायण 'सूर्य'
---------------
हँसा फागुन
पुष्पित तन मन
बरसे रंग
-पुष्पा सिन्धी
चाँद-सितारे
आओ न किसी दिन
घर हमारे
*
शाम ज्यों ढली
अम्बर में तारों की
झालरें जली
-सूर्य नारायण 'सूर्य'
कड़ी सुरक्षा
सूरज के घेरे में
पृथ्वी की कक्षा
-बलजीत सिंह
नन्हे जुगुनू
धरती के सितारे
मन लुभाते
-डा. रंजना वर्मा
दिल के राज़
चाँद है राज़दार
तन्हा सी रातें
-सुशील शर्मा
छूने को चन्दा
मचलती लहरें
होड़ मचाएं
*
सूरज अस्त
समापन नहीं ये
अल्प विराम
सुरंगमा यादव
मेघ डोली में
बारिश दुल्हनिया
हवा कहार
-राजीव गोयल
माया का मोह
गुड़ में लगा चींटा
जीवन बीता
-सुशील शर्मा
रक्त रंजित
मानवता का मुख
धो रहे आंसू
-सुरंगमा यादव
सुनो तो सही
शान्ति की अभिलाषा
दर्द -ए -दास्ताँ
-नरेन्द्र श्रीवास्तव
प्यार की धारा
जीवन की नैया को
देती सहारा
-बलजीत सिंह
दिल की नाव
प्रेम की सरिता में
ले हिचकोले
-नरेंद्र श्रीवास्तव
चातक प्रेम
आसन्न इंतज़ार
स्वाति की बूँद
-सुशील शर्मा
जुगलबंदी
------------
आद्र नयन
वियोग का विषाद
पिया की याद
-सुशील शर्मा
पिया न पास
नयनों से झरती
मिलन प्यास
-सुरंगमा यादव
---------------
इक ग़ज़ल
खुद के पीछे खड़ी
ज़िंदगी मेरी
*
गहरी प्यास
उजाला शरबत
पी गई रात
-पुष्पा सिन्धी
ऋतु अनंग
रतिवासित अंग
मन मतंग
*
मधुप गान
कलियन वितान
नैनन बान
-सुशील शर्मा
डाली का फूल
नाज़ुक सी ज़िंदगी
करे क़बूल
-बलजीत सिंह
फूलों की बातें
हवा हौले से सुने
बुने कहानी
-पुष्पा सिन्धी
उत्सव बेला
फूलों से सजी खड़ी
बसंत सेना
- रमेश कुमार सोनी
बीते ज़माने
नीली झील की थाह
कोई न जाने
-पुष्पा सिन्धी
भोर मुस्काती
सजा रही अल्पना
फूलों के द्वार
-शिव डोयले
बासंती सिला
भूल जाते मित्रों का
शिकवा गिला
-भीम प्रसाद प्रजापति
नींद न हँसी
पत्थरों के देश में
प्रीत यूं फंसी
- सूर्य नारायण 'सूर्य'
चिर उर्वरा
मिट्टी है रत्नगर्भा
सृजन सर्ग
-सुशील शर्मा
जुगलबंदी
-----------
आंसू से लिखा
पत्र वाँचते रहे
देव पत्थर
-नरेन्द्र श्रीवास्तव
क्या पता कब
देवता बन जाए
कोई पत्थर
-सुरंगमा यादव
--------------
आंधी में धूल
अपना ठौर भूल
हुई बावरी
-सुरंगमा यादव
युगों से खड़े
अधर देहरी पे
शापित गीत
पुष्पा सिन्धी
दीप डंसते
अंधेरों के भुजंग
दम तोड़ते
-राजीव गोयल
जय जवान जय किसान
-------------------------
देश की मिट्टी
प्यार से भरी चिट्ठी
माता ने लिखी
-रंजना वर्मा
खेतों की माटी
चन्दन सी शोभित
कृषक तन
-सुरंगमा यादव
-----------------------
स्वर्गीय डा. भगवतशरण अग्रवाल को उनके ८८वें जन्म दिन पर
श्रृद्धांजलि अर्पित करते हुए सत्रह आखर में उनकी पांच श्रेष्ठ रचनाएं -
धन्य है वर्षा
खेतों में कवितायेँ
बोते किसान
लू से झुलसी
जेठ की दुपहरी
कराहे पंखे
फूला पलाश
यादों के दीप सजा
आया बसंत
पसर गई
सरसों फूली शैया
माघ की धूप
कभी न जीती
मौत से जिंदगानी
हार न मानी
-------------------------------
श्रद्धांजलि
-----------
देव गमन
भगवतशरण
सदा स्मरण
-नरेन्द्र श्रीवास्तव
बुझ गई लौ
अब तो चमकेंगे
तारों में हम
-सुरंगमा यादव
--------------
भोर का फेरा
उजाला नहीं रुका
रोज़ का डेरा
-रमेश कुमार सोनी
भौंरे बावरे
प्रणय रस दूबे
ऐसे सांवरे
-निगम 'राज़'
क्या है संयम
अपने ही विरुद्ध
शाश्वत युद्ध
-राजीव गोयल
रात पूनम
आँगन में चुगता
युगल पंछी
-विष्णु प्रिय पाठक
माथे पे लिखा
कैसे पढ़ती आँखें
भाग्य विधान
*
कहना चाहे
मन कितना कुछ
शब्द तो मिलें
-सुरंगमा यादव
फागुनी फाग
झुर्रीदार गाल पे
खिला गुलाल
-विष्णु प्रिय पाठक
------------------------------------
---------------------समाप्त -------
श्रद्धाजंलि
जवाब देंहटाएंशत शत नमन
श्रद्धाजंलि
जवाब देंहटाएंशत शत नमन
सुन्दर भावपूर्ण हाइकु
जवाब देंहटाएं