अगस्त के श्रेष्ठ हाइकु-
मौन हैं जब
स्तब्ध सी धड़कने
अपने छूटे
-प्रियंका वाजपेयी
धुलती धरा
उड़े सौंधी खुशबू
लौटा यौवन
-प्रियंका वाजपेयी
बारूदी हवा
देश में ऐसी चली
रो उठी गली
-सूर्य नारायण गुप्त 'सूर्य'
चांदनी छाई
धरती पे चांदी की
पर्त बिछाई
-सूर्य नारायण गुप्त 'सूर्य'
वर्षा की बूँदें
शांत वातावरण
पत्तों पे बैठीं
-अमन चांदपुरी
सावन पर्व
मेंहदी रचे हाथ
देखे आईना
-नरेन्द्र श्रीवास्तव
सावन गीत
वर्षा की बूंदों संग
युगलबंदी
नरेन्द्र श्रीवास्तव
बरसा पानी
प्यासी नदी ने पिया
जी भर पानी
-नरेन्द्र श्रीवास्तव
सज्जित व्योम
सितारों की चमक
लुभाती मन
डा. रंजना वर्मा
आसमान में
मुस्कुराते पूर्वज
बनके तारे
-प्रियंका वाजपेयी
उठा देरसे
आँखें मींचते हुए
शीत का सूर्य
-अमन चाँदपुरी
सजी कलाई
बचपन की फोटो
राखी की यादें
-डा. पूर्णिमा राय
श्रावणी पूनों
नेह कथा बांचते
रेशमी धागे
-डा. शिवजी श्रीवास्तव
खुशी असीम
बहन की राखी में
शुभ सगुन
-नरेन्द्र श्रीवास्तव
स्नेह बंधन
महकाए सम्बन्ध
बने चन्दन
-मुकेश शर्मा
ज़िंदगी सच
दौड़ने का पर्याय
शान्ति मुहाल
-प्रियंका वाजपेयी
रक्षा कवच
भाई की कलाई पे
रेशम धागा
-सुशील शर्मा
सुनो ओ चाँद
निखर आए तुम
ग्रहण बाद
-सुशील शर्मा
सूर्य किरण
पृथ्वी पे यूं दौड़ी
स्वर्ण किरण
-सूर्य नारायण गुप्त 'सूर्य'
झूठ के पाँव
शहर से आ गए
हमारे गाँव
सूर्य नारायण गुप्त 'सूर्य'
बिटिया रानी
छोटी सी उम्र में
हुई सयानी
-सूर्य किरण सोनी
चलते रहे
रात दिवस पाँव
स्वप्न के गाँव
-अमन चांदपुरी
चुरा ले गया
पतझर पाहुन
कपडे लत्ते
डा. मिथलेश दीक्षित
लिपटी रही
सूखने के बाद भी
लता वृक्ष से
-शिव डोयले
लूट ले गया
दरख्तों का वैभव
ये पतझड़
राजीव गोयल
शाम ढलते ही
झालरें सितारों की
नभ में टंगी
-सूर्य नारायण गुप्त 'सूर्य'
ऊंचा होकर
छाया देने की कला
पेड़ से सीखो
-अमन चाँदपुरी
फागुन मास
धरा पर चांदनी
करे विलास
-बलजीत सिंह
ठंडी अंगीठी
गरीब के घर में
जुर्म पकाती
-राजीव गोयाल
पंख पसार
निकले नभचर
नीड़ की और
-सूर्य किरण सोनी
जन्म से शुरू
ज़िंदगी का दरिया
बहे ताउम्र
-प्रियंका वाजपेयी
ठंडे सम्बन्ध
लगता जम गए
मुंह में शब्द
-राजीव गोयल
देह धरा से
चुगे साँसों के मोती
समय हंस
-शिव डोयले
मेरा जीवन
ज्यों लम्बी किताब
नीरस पन्ने
-अमन चांदपुरी
बनूँ तिरंगा
लहराएगी आत्मा
चुकाऊँ ऋण
-मुकेश शर्मा
जूझे गोपाल
आक्सीजन की हांडी
मिल न सकी
-दिनेश चन्द्र पाण्डेय
ज़रा ठहरो
महसूस तो करो
मौन का स्वर
-डा. रंजना वर्मा
तन्हाइयों में
ले यादों की डोरियाँ
बुनूँ अतीत
राजीव गोयल
कैसी आजादी
शरीफों के घरों को
लूटें फसादी
-सूर्य नारायण गुप्त "सूर्य"
नीला गगन
पहाड़ों की गोद में
दिखे मगन
-सूर्य नारायण गुप्त 'सूर्य'
नीयत सच्ची
मेहनत की रोटी
लगती अच्छी
बलजीत सिंह
लूट के भागा
घर का सुख चैन
सोने का मृग
-राजीव गोयल
डाली का फूल
नाज़ुक सी ज़िंदगी
करे कबूल
-बलजीत सिंह
गीता कुरान
इनके नाम पर
चले दूकान
-सूर्य नारायण गुप्त 'सूर्य'
दुःख की आंच
ठहरे हुए आंसू
बहने लगे
-शिव डोयले
बादल रोया
आसमान का दर्द
धरा ने जाना
शिव डोयले
छोड़ घोंसले
उड़ चले परिंदे
छूने गगन
-राजीव गोयल
नव प्रकाश
धरा पर उतरे
रश्मि डोर से
-नरेन्द्र श्रीवास्तव
सुनती ही हैं
बोलती जो दीवारें
जाने क्या होता
-राजीव गोयल
भादों की तीज
तन रहा है छीज
मन सबल
-डा. रंजना वर्मा
कराते दंगा
कारावास में बंद
राम रहीम
-विष्णु प्रिय पाठक
पाप का घट
जब भी वो भरेगा
जाएगा फट
-सूर्य नारायण गुप्त 'सूर्य
पार्क में वृद्ध
ढूँढ़ते फिर रहे
अपनापन
-राजीव गोयल
चला अकेला
पलट कर देखा
यादों का रेला
-नरेन्द्र श्रीवास्तव
शब्द प्रणेता
कथ्य के संवाहक
बनाते ग्राह्य
-डा, रंजना वर्मा
सारा जीवन
पटरी से उतरा
ट्रेन के साथ
मुकेश शर्मा
आओ गौरैया
मन आँगन ढूँढे
भोर का शोर
-रमेश कुमार सोनी
मांगता खुशी
टूटते सितारों से
स्वार्थी इंसान
-राजीव गोयल
समुद्र बीच
द्वीपों की हरियाली
दिल उर्वरा
-रमेश कुमार सोनी
मूर्ति भसान
शिल्पी की मेहनत
जल समाधि
- अभिषेक जैन
अक्सर रोती
ज़िंदगी भी पिरोती
आंसू के मोती
-निगम 'राज़'
----------------------------------------------------------
----------------------------------------------------------samaapt
मौन हैं जब
स्तब्ध सी धड़कने
अपने छूटे
-प्रियंका वाजपेयी
धुलती धरा
उड़े सौंधी खुशबू
लौटा यौवन
-प्रियंका वाजपेयी
बारूदी हवा
देश में ऐसी चली
रो उठी गली
-सूर्य नारायण गुप्त 'सूर्य'
चांदनी छाई
धरती पे चांदी की
पर्त बिछाई
-सूर्य नारायण गुप्त 'सूर्य'
वर्षा की बूँदें
शांत वातावरण
पत्तों पे बैठीं
-अमन चांदपुरी
सावन पर्व
मेंहदी रचे हाथ
देखे आईना
-नरेन्द्र श्रीवास्तव
सावन गीत
वर्षा की बूंदों संग
युगलबंदी
नरेन्द्र श्रीवास्तव
बरसा पानी
प्यासी नदी ने पिया
जी भर पानी
-नरेन्द्र श्रीवास्तव
सज्जित व्योम
सितारों की चमक
लुभाती मन
डा. रंजना वर्मा
आसमान में
मुस्कुराते पूर्वज
बनके तारे
-प्रियंका वाजपेयी
उठा देरसे
आँखें मींचते हुए
शीत का सूर्य
-अमन चाँदपुरी
सजी कलाई
बचपन की फोटो
राखी की यादें
-डा. पूर्णिमा राय
श्रावणी पूनों
नेह कथा बांचते
रेशमी धागे
-डा. शिवजी श्रीवास्तव
खुशी असीम
बहन की राखी में
शुभ सगुन
-नरेन्द्र श्रीवास्तव
स्नेह बंधन
महकाए सम्बन्ध
बने चन्दन
-मुकेश शर्मा
ज़िंदगी सच
दौड़ने का पर्याय
शान्ति मुहाल
-प्रियंका वाजपेयी
रक्षा कवच
भाई की कलाई पे
रेशम धागा
-सुशील शर्मा
सुनो ओ चाँद
निखर आए तुम
ग्रहण बाद
-सुशील शर्मा
सूर्य किरण
पृथ्वी पे यूं दौड़ी
स्वर्ण किरण
-सूर्य नारायण गुप्त 'सूर्य'
झूठ के पाँव
शहर से आ गए
हमारे गाँव
सूर्य नारायण गुप्त 'सूर्य'
बिटिया रानी
छोटी सी उम्र में
हुई सयानी
-सूर्य किरण सोनी
चलते रहे
रात दिवस पाँव
स्वप्न के गाँव
-अमन चांदपुरी
चुरा ले गया
पतझर पाहुन
कपडे लत्ते
डा. मिथलेश दीक्षित
लिपटी रही
सूखने के बाद भी
लता वृक्ष से
-शिव डोयले
लूट ले गया
दरख्तों का वैभव
ये पतझड़
राजीव गोयल
शाम ढलते ही
झालरें सितारों की
नभ में टंगी
-सूर्य नारायण गुप्त 'सूर्य'
ऊंचा होकर
छाया देने की कला
पेड़ से सीखो
-अमन चाँदपुरी
फागुन मास
धरा पर चांदनी
करे विलास
-बलजीत सिंह
ठंडी अंगीठी
गरीब के घर में
जुर्म पकाती
-राजीव गोयाल
पंख पसार
निकले नभचर
नीड़ की और
-सूर्य किरण सोनी
जन्म से शुरू
ज़िंदगी का दरिया
बहे ताउम्र
-प्रियंका वाजपेयी
ठंडे सम्बन्ध
लगता जम गए
मुंह में शब्द
-राजीव गोयल
देह धरा से
चुगे साँसों के मोती
समय हंस
-शिव डोयले
मेरा जीवन
ज्यों लम्बी किताब
नीरस पन्ने
-अमन चांदपुरी
बनूँ तिरंगा
लहराएगी आत्मा
चुकाऊँ ऋण
-मुकेश शर्मा
जूझे गोपाल
आक्सीजन की हांडी
मिल न सकी
-दिनेश चन्द्र पाण्डेय
ज़रा ठहरो
महसूस तो करो
मौन का स्वर
-डा. रंजना वर्मा
तन्हाइयों में
ले यादों की डोरियाँ
बुनूँ अतीत
राजीव गोयल
कैसी आजादी
शरीफों के घरों को
लूटें फसादी
-सूर्य नारायण गुप्त "सूर्य"
नीला गगन
पहाड़ों की गोद में
दिखे मगन
-सूर्य नारायण गुप्त 'सूर्य'
नीयत सच्ची
मेहनत की रोटी
लगती अच्छी
बलजीत सिंह
लूट के भागा
घर का सुख चैन
सोने का मृग
-राजीव गोयल
डाली का फूल
नाज़ुक सी ज़िंदगी
करे कबूल
-बलजीत सिंह
गीता कुरान
इनके नाम पर
चले दूकान
-सूर्य नारायण गुप्त 'सूर्य'
दुःख की आंच
ठहरे हुए आंसू
बहने लगे
-शिव डोयले
बादल रोया
आसमान का दर्द
धरा ने जाना
शिव डोयले
छोड़ घोंसले
उड़ चले परिंदे
छूने गगन
-राजीव गोयल
नव प्रकाश
धरा पर उतरे
रश्मि डोर से
-नरेन्द्र श्रीवास्तव
सुनती ही हैं
बोलती जो दीवारें
जाने क्या होता
-राजीव गोयल
भादों की तीज
तन रहा है छीज
मन सबल
-डा. रंजना वर्मा
कराते दंगा
कारावास में बंद
राम रहीम
-विष्णु प्रिय पाठक
पाप का घट
जब भी वो भरेगा
जाएगा फट
-सूर्य नारायण गुप्त 'सूर्य
पार्क में वृद्ध
ढूँढ़ते फिर रहे
अपनापन
-राजीव गोयल
चला अकेला
पलट कर देखा
यादों का रेला
-नरेन्द्र श्रीवास्तव
शब्द प्रणेता
कथ्य के संवाहक
बनाते ग्राह्य
-डा, रंजना वर्मा
सारा जीवन
पटरी से उतरा
ट्रेन के साथ
मुकेश शर्मा
आओ गौरैया
मन आँगन ढूँढे
भोर का शोर
-रमेश कुमार सोनी
मांगता खुशी
टूटते सितारों से
स्वार्थी इंसान
-राजीव गोयल
समुद्र बीच
द्वीपों की हरियाली
दिल उर्वरा
-रमेश कुमार सोनी
मूर्ति भसान
शिल्पी की मेहनत
जल समाधि
- अभिषेक जैन
अक्सर रोती
ज़िंदगी भी पिरोती
आंसू के मोती
-निगम 'राज़'
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----------------------------------------------------------samaapt
नमन 🙏💐
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जवाब देंहटाएंसादर अभिवादन ! सभी हाइकु बहुत बढ़िया हैं अंत वाले के अलावा ....लेकिन आपके चयन ने उसे भी श्रेष्ठ बना दिया ... आभार संग सभी हाइकुकारों को बधाई और वर्मा साहब आपको साधुवाद !!
जवाब देंहटाएंबेहतरीन सृजन हाइकुकारों का!!चयनित हाइकु उम्दा!!हार्दिक बधाई सभी को...
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