मंगलवार, 11 अप्रैल 2017

अप्रेल २०१७ के श्रेष्ठ हिन्दी हाइकु (पहली किश्त)

हँसा के हँस
मूर्ख बनके रह
मज़े में बस
      -निगम  'राज़'
सब आसक्त
ये जानते नहीं क्या
बहता वक्त
       -निगम 'राज़'
धूप है तीखी
छाँव में जल-पात्र
पक्षी,पानी पी
        (हाइगा)-- प्रीति दक्ष
दिखे युवक
गेरुआ  फैशन में
योगी का रंग !
       -विष्णु प्रिय पाठक
तमतमाया
कटे वनों को देख
आहत सूर्य
      -प्रियंका वाजपेयी
जुगल-बंदी
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नया समय
बदल रहा दौर
राहें हैं और
     -डा. रंजना वर्मा
राहें हैं वही
मुसाफिर नशे में
चलें तो कैसे
      -जितेन्द्र वर्मा
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मिलते ऐसे
जैसे अजनबी हों
अदा ये कैसी !
        -जितेन्द्र वर्मा
वक्त बदला
गगन से रवि का
पाँव फिसला
        डा. रंजना वर्मा
आंधी की गूँज
छतों पे टंगी बत्ती
फड़फड़ाए
      -विभा श्रीवास्तव
नदी का तीर
गंदेनालों ने खींची
लंबी लकीर
     -विष्णु प्रिय पाठक
भैंस पे बैठ
कर रहा सवारी
कौओं  का जोड़ा
      -राजीव गोयल

जुगलबंदी
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कागज़ मोड़
बनाई एक नाव
पार न लगी
     -राजीव गोयल
कागज़ी नाव
सागर पार जाना
नहीं संभव
    -मंजूषा मन
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नाच रही हैं
दीये की रोशनी में
परछाइयां
      -राजीव गोयल
प्यार का राज़
जुबां तो चुप रही
आँखें बोल दीं
       -दिनेश चन्द्र पाण्डेय
पर्वत फटा
निकली जलधारा
अमृतमयी
      -डा. रंजना वर्मा
गिरी बिजली
मेघों के लगे पर
उफनी नदी
       -विष्णु प्रिय पाठक
चला गया वो
छोड़ खूँटी पे टंगी
अपनी यादें
       -राजीव गोयल
पालतू कुत्ता
पहुंचा वृद्धाश्रम
आँखों में आंसू
        -राजीव गोयल
वर्षा सुहानी
सिन्धु का हर बिंदु
पानी कहानी
           --प्रदीप कुमार डास
सागर तट
बना रहे बालक
रेत  का घर
        -विष्णु प्रिय पाठक

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