फरवरी, २०१७ के श्रेष्ठ हिन्दी हाइकु
आम्र मंजरी
पीहू पीहू गायन
वसंत दूत
प्रीति दक्ष
ऋतु वसंत
जीवन का स्पंदन
अभिनन्दन
डा, रंजना वर्मा
सौंपता नहीं
ऋतुराज को राज
अड़ा शिशिर
दिनेश चन्द्र पाण्डे
करो इतना
वीना से प्रेम धुन
बरसे हे माँ
प्रियंका वाजपेयी
ऋतु वसंत
लाया नवजीवन
शरद अंत
मुकेश वर्मा
वासन्ती ताव
बढाने को आतुर
प्रेम का भाव
निगम 'राज़'
रुग्ण तरु का
कर रहे इलाज
वैद्य बसंत
अभिषेक जैन
वृक्षों को देता
नई नई पोशाक
दानी बसंत
राजीव गोयल
बसंत जोर
दिग दिगंत शोर
ओर न छोर
रमेश कुमार सोनी
काफी मनाया
खुली छूट मिली थी
मना नहीं था
(दो सुखन )-आर के भारद्वाज
टेसू में छिप
चलाए कामदेव
शिव पे तीर
-राजीव गोयल
मीत के गाँव
इमली मीठी लगे
प्रीत का स्वाद
रमेश कुमार सोनी
कडुवाहट
जैसे ही मैंने पी ली
ज़िंदगी जी ली
तुकाराम खिल्लारे
रिश्तों की नाव
विश्वास पतवार
लगाती पार
राजीव गोयल
पल में टूटी
ये नाज़ुक बड़ी थी
विश्वास डोर
मंजूषा मन
लड़खड़ाती
गिरती पड़ती है
बेचारी मौत
जितेन्द्र वर्मा
कितनी पीड़ा
फूटा जैसे ही घड़ा
भूकंप आया
विष्णु प्रिय पाठक
अच्छी लगे है
तुरशी दोपहर की
बैठते साथ
जितेन्द्र वर्मा
गलन बढी
कम्बल रजाई से
लगन बढी
डा. रंजना वर्मा
थू थू कड़वा
मीठा तो लप लप
स्वार्थी मनवा
विष्णुप्रिय पाठ
प्रेम दिखावा
तोड़े गए गुलाब
बिना सबब
डा. रंजना वर्मा
जीत का स्वाद
संघर्षों की हांडी में
पके तो मीठा
रमेश कुमार सोनी
लड़कपन
खट्टा मीठा सरीखा
पागलपन
विष्णु प्रिय पाठक
फूले गुलाब
हुई नवल भोर
हों पूरे ख़्वाब
मंजूषा मन
शहर बसे
तू से आप हो गए
यार पुराने
दिनेश चन्द्र पाण्डेय
पेट में आग
चूल्हे में तिरता है
आँखों का नीर
प्रीति दक्ष
मने रोटी डे
बाँटें सब रोटियाँ
बुभुक्षकों को
डा. रंजना वर्मा
जुगलबंदी (१)
-------------
कागज़ नाव
लिखा एक हाइकु
तैरने लगा
डा.सुरेन्द्र वर्मा
होती कामना
कागज़ की नाव सी
डूब ही जाती
डा. रंजना वर्मा
जुगलबंदी (२)
--------------
निराश मन
नमी अभी बाक़ी है
आशा किरण
डा. सुरेन्द्र वर्मा
आशा निराशा
तैरे कभी डूबती
मन की नाव
राजीव गोयल
------------------
कंदुक बना
हर ठौर ठोकर
लुढ़के सच
विष्णु प्रिय पाठक
आँखों की भाषा
मौन से मौन तक
प्यार ही प्यार
रमेश कुमार सोनी
समय चांटा
चमकता सितारा
धूल में पड़ा
विभा श्रीवास्तव
रंगीन मंच
सफ़ेद लिबास में
भौंकता कुत्ता
विष्णु प्रिय पाठक
दबा गुलाब
डायरी के पन्नों में
अब भी ताज़ा
जितेंद्र वर्मा
अम्मा और बाबा
घर में हैं सबके
काशी और काबा
अमन चांदपुरी
मौत के साए
भागती है ज़िंदगी
जिए ज़िंदगी
जितेन्द्र वर्मा
न शोरगुल
न पसरा सन्नाटा
चहकी भोर
प्रियंका वाजपेयी
आकाश सुर्ख
आदित्य की आहट
लजाती भोर
प्रियंका वाजपेयी
कर्तव्य किया
क्यूँ अपेक्षा करूं मैं
मुक्त पखेरू
-तुकाराम खिल्लारे
महकी सासें
तुझे छूकर आया
मंद पवन
डा. रंजना वर्मा
पत्थर दिल
रहता है शीतल
स्पर्श तो कर
विष्णु प्रिय पाठक
जुगलबंदी
-----------
संधु में डूब
करती आत्मह्त्या
थकी नदियाँ
डा. रंजना वर्मा
पाती सकून
आ सागर बाहों में
थकी नदियाँ
-राजीव गोयल
-------------
मधुबन हूँ
ज़िंदगी के रंगों से
गुलज़ार हूँ
-प्रियंका वाजपेयी
नन्ही सी बूंद
हथेली पर गिरी
स्वप्न सी उड़ी
- कैलाश कल्ला
खुश थी रात
सब उसके पास
चाँद सितारे
-राजीव गोयल
केलि करतीं
कलियाँ हवा संग
सरसों डोली
-दिनेश चन्द्र पाण्डेय
भौंरों ने छुआ
कली से फूल हुई
स्पर्श का जादू
-रमेश कुमार सोनी
काट के पेड़
थके लकड़हारे
ढूँढ़ते छाँव
-राजीव गोयल
होते ही भोर
रसोई में बर्तन
मचाते शोर
-राजीव गोयल
वर्षा की झड़ी
पत्तों पे सजा गई
मोती की लढी
-राजीव गोयल
धरा के पैर
दरारें जब पडीं
वर्षा ने भरीं
-राजीव गोयल
फकीर द्वार
लिए आशा हज़ार
खड़ी कतार
-राजीव गोयल
वर्षा की बूँदें
करें धरा स्पर्श
सोंधी खुश्बू
-कैलाश कल्ला
नभ को छोड़
रवि खम्बों पे चढ़ा
गोधूलि बेला
- राजीव गोयल
वो बाँझ सीपी
एक बूंद स्वाति की
आस में जिए
-राजीव गोयल
कर न सका
माली ही हिफाज़त
कलियाँ बिकीं
-राजीव गोयल
हाथ न आता
वक्त बिना पंख के
उड़ता जाता
-दिनेश चन्द्र पाण्डेय
आंधी तू ज़रा
फूल से तितली को
छुडा के दिखा
-राजीव गोयल
एक उत्सव
रोज़ होता है जैसे
जिओ ज़िंदगी
-जितेन्द्र वर्मा
छुपाए दर्द
जीता रहता हूँ मैं
दर्द ज़िंदगी
जितेन्द्र वर्मा
आती बहार
खोल वक्त के द्वार
यादें हज़ार
-राजीव गोयल
बजाए सीटी
गुज़रे जब हवा
आवारा बांस
-राजीव गोयल
त्रिदल-बंदी
-----------
मातुल छोड़
उड़ निकली चिड़ी
पराए नीड़
-विष्णु प्रिय पाठक
भीगा आँचल
वीरान है घोंसला
आँखों में जल
-डा. रंजना वर्मा
आते ही पंख
उड़ जातेहैं चूजे
यादें रुलाए
-राजीव गोयल
--------------
जो न मिला
पाया उसे स्वप्न में
स्वप्न का खेल
-जितेन्द्र वर्मा
मारे कंकर
नदिया की धार में
मुड़ी न रुकी
-दिनेश चन्द्र पाण्डेय
-----------------------------------
----------------------------------
समाप्त
आम्र मंजरी
पीहू पीहू गायन
वसंत दूत
प्रीति दक्ष
ऋतु वसंत
जीवन का स्पंदन
अभिनन्दन
डा, रंजना वर्मा
सौंपता नहीं
ऋतुराज को राज
अड़ा शिशिर
दिनेश चन्द्र पाण्डे
करो इतना
वीना से प्रेम धुन
बरसे हे माँ
प्रियंका वाजपेयी
ऋतु वसंत
लाया नवजीवन
शरद अंत
मुकेश वर्मा
वासन्ती ताव
बढाने को आतुर
प्रेम का भाव
निगम 'राज़'
रुग्ण तरु का
कर रहे इलाज
वैद्य बसंत
अभिषेक जैन
वृक्षों को देता
नई नई पोशाक
दानी बसंत
राजीव गोयल
बसंत जोर
दिग दिगंत शोर
ओर न छोर
रमेश कुमार सोनी
काफी मनाया
खुली छूट मिली थी
मना नहीं था
(दो सुखन )-आर के भारद्वाज
टेसू में छिप
चलाए कामदेव
शिव पे तीर
-राजीव गोयल
मीत के गाँव
इमली मीठी लगे
प्रीत का स्वाद
रमेश कुमार सोनी
कडुवाहट
जैसे ही मैंने पी ली
ज़िंदगी जी ली
तुकाराम खिल्लारे
रिश्तों की नाव
विश्वास पतवार
लगाती पार
राजीव गोयल
पल में टूटी
ये नाज़ुक बड़ी थी
विश्वास डोर
मंजूषा मन
लड़खड़ाती
गिरती पड़ती है
बेचारी मौत
जितेन्द्र वर्मा
कितनी पीड़ा
फूटा जैसे ही घड़ा
भूकंप आया
विष्णु प्रिय पाठक
अच्छी लगे है
तुरशी दोपहर की
बैठते साथ
जितेन्द्र वर्मा
गलन बढी
कम्बल रजाई से
लगन बढी
डा. रंजना वर्मा
थू थू कड़वा
मीठा तो लप लप
स्वार्थी मनवा
विष्णुप्रिय पाठ
प्रेम दिखावा
तोड़े गए गुलाब
बिना सबब
डा. रंजना वर्मा
जीत का स्वाद
संघर्षों की हांडी में
पके तो मीठा
रमेश कुमार सोनी
लड़कपन
खट्टा मीठा सरीखा
पागलपन
विष्णु प्रिय पाठक
फूले गुलाब
हुई नवल भोर
हों पूरे ख़्वाब
मंजूषा मन
शहर बसे
तू से आप हो गए
यार पुराने
दिनेश चन्द्र पाण्डेय
पेट में आग
चूल्हे में तिरता है
आँखों का नीर
प्रीति दक्ष
मने रोटी डे
बाँटें सब रोटियाँ
बुभुक्षकों को
डा. रंजना वर्मा
जुगलबंदी (१)
-------------
कागज़ नाव
लिखा एक हाइकु
तैरने लगा
डा.सुरेन्द्र वर्मा
होती कामना
कागज़ की नाव सी
डूब ही जाती
डा. रंजना वर्मा
जुगलबंदी (२)
--------------
निराश मन
नमी अभी बाक़ी है
आशा किरण
डा. सुरेन्द्र वर्मा
आशा निराशा
तैरे कभी डूबती
मन की नाव
राजीव गोयल
------------------
कंदुक बना
हर ठौर ठोकर
लुढ़के सच
विष्णु प्रिय पाठक
आँखों की भाषा
मौन से मौन तक
प्यार ही प्यार
रमेश कुमार सोनी
समय चांटा
चमकता सितारा
धूल में पड़ा
विभा श्रीवास्तव
रंगीन मंच
सफ़ेद लिबास में
भौंकता कुत्ता
विष्णु प्रिय पाठक
दबा गुलाब
डायरी के पन्नों में
अब भी ताज़ा
जितेंद्र वर्मा
अम्मा और बाबा
घर में हैं सबके
काशी और काबा
अमन चांदपुरी
मौत के साए
भागती है ज़िंदगी
जिए ज़िंदगी
जितेन्द्र वर्मा
न शोरगुल
न पसरा सन्नाटा
चहकी भोर
प्रियंका वाजपेयी
आकाश सुर्ख
आदित्य की आहट
लजाती भोर
प्रियंका वाजपेयी
कर्तव्य किया
क्यूँ अपेक्षा करूं मैं
मुक्त पखेरू
-तुकाराम खिल्लारे
महकी सासें
तुझे छूकर आया
मंद पवन
डा. रंजना वर्मा
पत्थर दिल
रहता है शीतल
स्पर्श तो कर
विष्णु प्रिय पाठक
जुगलबंदी
-----------
संधु में डूब
करती आत्मह्त्या
थकी नदियाँ
डा. रंजना वर्मा
पाती सकून
आ सागर बाहों में
थकी नदियाँ
-राजीव गोयल
-------------
मधुबन हूँ
ज़िंदगी के रंगों से
गुलज़ार हूँ
-प्रियंका वाजपेयी
नन्ही सी बूंद
हथेली पर गिरी
स्वप्न सी उड़ी
- कैलाश कल्ला
खुश थी रात
सब उसके पास
चाँद सितारे
-राजीव गोयल
केलि करतीं
कलियाँ हवा संग
सरसों डोली
-दिनेश चन्द्र पाण्डेय
भौंरों ने छुआ
कली से फूल हुई
स्पर्श का जादू
-रमेश कुमार सोनी
काट के पेड़
थके लकड़हारे
ढूँढ़ते छाँव
-राजीव गोयल
होते ही भोर
रसोई में बर्तन
मचाते शोर
-राजीव गोयल
वर्षा की झड़ी
पत्तों पे सजा गई
मोती की लढी
-राजीव गोयल
धरा के पैर
दरारें जब पडीं
वर्षा ने भरीं
-राजीव गोयल
फकीर द्वार
लिए आशा हज़ार
खड़ी कतार
-राजीव गोयल
वर्षा की बूँदें
करें धरा स्पर्श
सोंधी खुश्बू
-कैलाश कल्ला
नभ को छोड़
रवि खम्बों पे चढ़ा
गोधूलि बेला
- राजीव गोयल
वो बाँझ सीपी
एक बूंद स्वाति की
आस में जिए
-राजीव गोयल
कर न सका
माली ही हिफाज़त
कलियाँ बिकीं
-राजीव गोयल
हाथ न आता
वक्त बिना पंख के
उड़ता जाता
-दिनेश चन्द्र पाण्डेय
आंधी तू ज़रा
फूल से तितली को
छुडा के दिखा
-राजीव गोयल
एक उत्सव
रोज़ होता है जैसे
जिओ ज़िंदगी
-जितेन्द्र वर्मा
छुपाए दर्द
जीता रहता हूँ मैं
दर्द ज़िंदगी
जितेन्द्र वर्मा
आती बहार
खोल वक्त के द्वार
यादें हज़ार
-राजीव गोयल
बजाए सीटी
गुज़रे जब हवा
आवारा बांस
-राजीव गोयल
त्रिदल-बंदी
-----------
मातुल छोड़
उड़ निकली चिड़ी
पराए नीड़
-विष्णु प्रिय पाठक
भीगा आँचल
वीरान है घोंसला
आँखों में जल
-डा. रंजना वर्मा
आते ही पंख
उड़ जातेहैं चूजे
यादें रुलाए
-राजीव गोयल
--------------
जो न मिला
पाया उसे स्वप्न में
स्वप्न का खेल
-जितेन्द्र वर्मा
मारे कंकर
नदिया की धार में
मुड़ी न रुकी
-दिनेश चन्द्र पाण्डेय
-----------------------------------
----------------------------------
समाप्त
आपके अथक परिश्रम को नमन
जवाब देंहटाएंआपके सहयोग और अथक परिश्रम को सादर नमन
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद आपका
हम सब आभारी हैं
मेरी रचनाओं को माह की सर्वश्रेष्ठ रचनाओं में स्थान देने के लिए सादर नमन एवं आभार. आपके अथक परिश्रम को नमन.💐💐💐
जवाब देंहटाएं