गुरुवार, 1 सितंबर 2016

श्रेष्ठ हिंदी हाइकु - अगस्त माह के हाइकु

१ ८ १६

बच्चों का घर
दीवारों पर उभरे
बच्चों के ख़्वाब
       -राजीव गोयल
दीप जो जला
जान बचाने तम
पैरों पे गिरा
       -राजीव गोयल
मेघों के बीच
ढूँढे महिला चाँद
सावन तीज
      -कैलाश कल्ला

२ ८ १६
फटे बादल
वाहन मनु हाल
तैरते तृण
    -विभा श्रीवास्तव
मेघ से केश
उड़ते व ढंकते
पूनों का चाँद
      -कैलाश कल्ला
दिखाए ज़ख्म
खून के आंसू रोई
मेरी कलम
      -राजीव गोयल

७ ८ १६ मित्रता दिवस
नकार दिया
देने झूठ में साथ
सच्चे मित्र ने
        -अभिषेक जैन
मित्र जो मिला
क्लिष्ट हुआ आसान
मिला जीवन
     -सुवना
    (परिवर्धित )

८ ८ १६
खो जाता हूँ मैं
एक भूल भुलैयां
शब्दों की भीड़
        -राजीव गोयल

९ ८ १६
पूछते रहे
दीवाने, दीवानों से
होश का पता
     -प्रियंका वाजपेयी
खोजते रहे
ठिकाने,उजालों के
डूबते मन
       -प्रियंका वाजपेयी
१० ८ १६
जुगलबंदी -
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तारों के साथ
चाँद सोया नभ पे
ओढ़ के रात
    -राजीव गोयल
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 नीली चादर
तारों जडी बिछाके
सोई है रात
       -जितेंद्र वर्मा
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ठंडी अंगीठी
भूख की आग पर
पकता जुर्म
      -राजीव गोयल
१२ ८ १६
वक्त का मारा
कहे सूना मकान
मैं भी घर था
       -राजीव् गोयल

१३ ८ १६
जुगल बंदी --

भीगी हथेली
पसीना तुम्हारा था
सूखता नहीं
     -जितेन्द्र वर्मा
कंधे पे तेरे
है अभी तक नमी
आंसू की तेरे
       -राजीव गोयल
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मेघों की मर्जी
रिमझिम बारिश
छान के भेजी
      -आर के भारद्वाज
तारे सितारे
अम्बर में बिखरे
ज्यों पापकॉर्न
     - राजीव गोयल

१४ ८ १६
वो कैसे आए
साफ़ नहीं हुजरा
तेरे दिल का
      -प्रियंका वाजपेयी

१५ ८ १६
झूले लटके
पेड़ों की डालों पर
डालों के बाले
        आर क भारद्वाज
दो सुखन -
पंछी न उड़े
लोग गर्मी से तंग
पंखों के बिना
      -आर के भारद्वाज

१६ ८ १६
लाई बहना
रेशम में लपेट
प्यार अपना
      -राजीव गोयल
सूनी न रहे
किसी की कलाई
राखी है भाई
     -दिनेश चन्द्र पाण्डेय
लाई बहना
अक्षत वरदान
राखी गहना
       -विभा श्रीवास्तव

17 8 16

जुगल बंदी --

नहीं तैरतीं
कागज़ की नावें
दूर तलक      (संवर्धित)
        -सुवना
किनारा कभी
पाते नहीं ये ख़्वाब
कागजी नाव
        -राजीव गोयल
कागज़ नाव्
बिना लक्ष्य का काम
एक समान
       -सुवना
पंख लगाती
बच्चों की खुशियों को                                                                                                  
कागजी नाव
         -आर के भारद्वाज
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१८ ८ १६
   
हाँ मेरे भैया
सुख दुःख बाँटते
आशीष देते
      - सुवना
इन्द्रधनुष
मेघों ने बंधवाई
धरा से राखी
       -दिनेश चन्द्र पाण्डेय
श्रावणी पूनों
नेह कथा बाँटते
रेशमी धागे
         -डा.शिवजी श्रीवास्तव

१९ ८ १६
वर्षा सावन
हरित स्मृति-वन
राखी  ने किए
        -दिनेश चन्द्र पांडे
२१ ८ १६
सालता भी है
वक्त दिल का दर्द
पालता भी है
      -राजीव निगम राज
खाली घोंसले
रह गईं हैं बस
यादें ही यादें
       -राजीव गोयल
नहीं संभव
गगन को छू लेना
बौने हैं सब
     -तुकाराम खिल्लारे

२२ ८ १६
लगाए छाते
बारिश से बचते
कुकुरमुत्ते
      -राजीव गोयल
२४ ८ १६
फुद फुदक
गौरैया ओ बहना
आ जा अंगना
     -वी पी पाठक
पेड़ों में झूले
मेढक गाए गीत
पीया न आए
     -वी पी पाठक
बीत ही जाती
कितनी ही अंधेरी
गहरी रात--

प्रीत की मिट्टी
गीली अबतक है
आँखों के साथ
    -प्रियंका वाजपेयी

२५ ८ १६
बेसुध नाची
वंशी का स्वर सुन
कान्हा की गोपी
     -आर के भारद्वाज
ब्रज पावन
जन्में नन्द किशोर
बजते ढोल
       वी पी पाठक

२६ ८ १६
सांकल चुप
दरवाज़ा बंद है
है इंतज़ार
      -जितेन्द्र वर्मा
२७ ८ १६
उड़ता पंछी
आकाश विवर में
चित्त भू पर
     -तुकाराम खिल्लारे
किनारा कभी
पाए नहीं ये ख़्वाब
कागजी नाव
     राजीव गोयल
सेल्फी में कैद
अपनों की मुस्कान
मेरे कन्धों पे
      -विभा श्रीवास्तव

29 8 16
मन चातक
चुन चुन कर पी
तत्व सलिल
      -प्रियंका वाजपेयी
कांटे ने कहा
पाँव चुभे कांटे से
आ मैं निकालूं
      -आर के भारद्वाज
उपवन में
महकते फूल
इत्र की वर्षा
     -आर के भारद्वाज
पूर्व दिशा
सजी लाल जोड़े में
सूरज संग
       -राजीव  गोयल

३० ८ १६
वैभवशाली
अब हैं अवशेष
रंग महल
     -प्रियंका वाजपेयी
भोग न पाए
दामन पड़े सुख
अतृप्त जन
     -प्रियंका वाजपेयी
जीवन हाला
बनाके मधुशाला
बस पी डाला
          -राजीव निगम राज
भर रखा है
आँख की सीपियों में
मैंने समुद्र
       राजीव गोयल
कतरा तो नहीं
आँखों में जो समाया
समंदर था
       -प्रियंका वाजपेयी
थमा न तूफां
बह गए थे आंसू
याद जो आई
       -जितेन्द्र वर्मा
बूंद उछली
बहुत ऊंची उठी.
पुन:, नदी में
        -दिनेश चन्द्र पाण्डेय
डालियाँ रूठीं
सूखी पत्ती रो पडी
विदा की घड़ी
        -प्रदीप कुमार डास 'दीपक'
प्यासी ही रहे
समुद्र में सीप
स्वाती की चाह
     -राजीव गोयल
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------------------------------------समाप्त









4 टिप्‍पणियां:

  1. ब्लॉग पर स्थान पाते मोहर लग जाता है आपके आशीष का
    आभार संग बहुत बहुत धन्यवाद आपका

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  2. मान्यवर, मेरी रचनाओं को ब्लॉग में प्रकाशित कर मान देने के लिए सादर आभार।💐

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  3. आभार आपका आदरणीय डॉ.वर्मा साहब !

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  4. आभार आपका आदरणीय डॉ.वर्मा साहब !

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