सोमवार, 29 फ़रवरी 2016

फरवरी माह के हाइकु

फरवरी माह के हाइकु
१.,२.१६

आंसू के कंधे
उठा कर ले गए
मन का बोझ
     अभिषेक जैन
बाहें फैलाए
बरगद दादाजी
देते आसरा
      प्रीती दक्ष
शक का बिंदु
खिचा बन लकीर
हमारे बीच
    राजीव गोयल
२.२.१६

नव पल्लव
देख, बुज़ुर्ग पत्ते
वन को चले
    कैलाश कल्ला
भीतर योग
बाहर कामनाएं
यही है सत्य
    प्रियंका वाजपेयी
फैलाए डैने
फैंसी  ड्रेस पहने  
मयूर नाचे
    आर के भारद्वाज
३.२.१६

बड़े बंगले
हरे-भरे गमले
मुरझाई माँ
   अभिषेक जैन
सत्य का सूर्य
छुपा नहीं सकते
झूठ का सूर्य
     संतोष कुमार सिंह
सफेद् हाथी
छीन कर खा जाते
भूखे की रोटी
     कैलाश कल्ला
4.2.16
ऊंचे मकान
रहते हैं उसमें
बौने इंसान
    राजीव गोयल
५.२.१६

मारा दे धक्का
असंतुलित जिह्वा
कोमा में रिश्ते
     अभिषेक जैन
ज़िंदगी मानो
दरिया दाहक का
सुख  न खोजो
      शान्ति पुरोहित
ज़िंदगी स्वप्न
मौत एक सच्चाई
झूठ में जिए
   -आर के भारद्वाज
रुका हुआ ये
क्षण, भागने लगा
दौड़ी ज़िंदगी
   - जितेन्द्र वर्मा
हो गई हद
कानून से ऊपर
उनका कद
     -संतोष कुमार  सिंह
उघडा तन
मजबूरी किसी की
किसी का शौक
    राजीव गोयल
 ७.२.१६
चढ़ी लहर
सागर के काँधे पे
छूने को चाँद
       -राजीव गोयल
जन्म में जन्म
बार बार् मर के
लेता मनुज
     -शान्ति पुरोहित
८.२. १६

बसंत राज
अपदस्थ हो गए
पुराने ट्रस्टी
     -अभिषेक जैन
बात बेबात
निकल आती बात
तुम्हारी याद
     -शान्ति पुरोहित
छुएँ गगन
रहें ज़मीं से जुड़े
गिरी महान
     -राजीव गोयल
ओस के दाने
धूप चिरैया खाए
बीन बीन के
    -आर के भारद्वाज
९.२.१६

दिखे वो नहीं
जो महसूस होवे
वही है सच
     -जितेन्द्र  वर्मा
ठूँठ शाखाएं
उजड़ गया नीड
चिंतित पक्षी
    -शान्ति पुरोहित
दीप जो जला
जान बचाने तम
पैरों में गिरा
    -राजीव गोयल
बजा के भागी
खुराफाती पवन
घर का द्वार
     -अभिषेक जैन
१०.२.१६

मुंह फाडतीं
कामनाएं सदा ही
जैसे सुरसा
    -प्रियंका वाजपेयी
बनाए बैठे
ज़हन में घोंसला
याद परिंदे
     -राजीव गोयल
वस्त्र फटा क्यों
प्रभु राम दुखी क्यों
सिया नहीं यूं
    -आर के भारद्वाज

११.२.१६
थके न कभी
लिए यादों की डोली
मन कहार
     -राजीव गोयल
तानती सुर
बेख़ौफ़ हवा तुन्डी
बजाती कुंडी
     -विभा श्रीवास्तव
 १२'२'१६
सड़क टूटी
गुमसुम  सी गली
फिर जी उठी
     -अभिषेक जैन
१३.२.१६
निराश्रय है
खोई बना बुज़ुर्ग
पूत निर्मोही
     -विभा श्रीवास्तव
जीत (प्यार) का जश्न
मने इस तरह
दोनों ही हारें
     -आर के भारद्वाज
तजता प्राण
कर सूर्य नमन
हरसिंगार
     -राजीव गोयल
पीले वस्त्रों में
ड्रिल करते बच्चे
बसंत आया
     -जितेन्द्र वर्मा
१४.२,१६
बिंधे सौ तीर
बिन पी, मीन साध्वी
फागुनी पीर
     -विभा श्रीवास्तव
१५ .२. १६
मन चेतक
नाप लेता गगन
छूता पाताल
     -विभा श्रीवास्तव
जूझती रही
तूफ़ान की लहरों से
विजयी नाव
     -प्रियंका वाजपेयी
नदिया जैसा
हो सतत सफ़र
क्या धूप छाँव
    - प्रियंका वाजपेयी
जर्जर नौका
घाट घाट  भटके
मिले न ठांव
     -कैलाश कल्ला
१६.२.१६
खड़ा पलाश
लिए सर अंगार
झुलसे पात
    -राजीव गोयल
हैं अहिंसक
देखा मैंने उन्हें भी
मन मारते
    -संतोष कुमार सिंह
क्या होता रिश्ता
चाची बुआ मौसी
पूछते बच्चे
     - कैलाश कल्ला
प्राण का पंछी
फुर्र से उड़ गया
निर्मोही सुग्गा
     -आर के भारद्वाज
१७.२.१६
जीवों से घृणा
पत्थर को पूजते
पत्थर दिल
    -आर के भाद्वाज
कागज़ नाव
घूम आया बबुआ
देश विदेश
     -अभिषेक जैन
लब खामोश
पर कहती आँखें
दिल की बात
      -राजीव गोयल
१८.२.१६

दर्द लहरें
भरता न सूखता
ह्रदय सिन्धु
      -विभा श्रीवास्तव
हे प्रियतम
केवल तुम छाए
मेरी आँखों में
      -संतोष कुमार सिंह
दाग न लगा
चरित्र अनमोल
जीवन जोश
     -कैलाश कल्ला
१९.२.१६
पवन गुरु
सिखा रहा बांसों को
बंसी बजाना
     -राजीव गोयल
दर्द लहरें
भरता न सूखता
ह्रदय सिन्धु
       -बिभा श्रीवास्तव
दोनों एक सी
गौरैया और बेटी
उड़ जावेंगी
    -राजीव गोयल
बेटी पराई
उड़ गई गौरैया
सूनी मुंडेर
    -राजीव गोयल (हाइगा से )
प्रसाद न लूँ
प्रभु रुष्ट, ज़्यादा लूँ
पुजारी रुष्ट
      -आर के भारद्वाज  
धन्धा मंदा है
प्यार के ढेर लगे
घृणा ही बिके
      -आर के भारद्वाज
 २०.२.१६
सुनती तो हैं
 जो बोलती दीवारें
 सोचो क्या होता !
       -राजीव गोयल (हाईगा से)
लक्ष्मण चले
विरह में उर्मिला
चौदह वर्ष
      -प्रियंका वाजपेयी  
फट जाता है
मन की खटास से
रिश्तों का दूध
     -राजीव गोयल
गर्मी लगती
भाड़ भी नहीं चढ़ा
झोंका न था
       -आर के भाद्वाज (दो-सुखना)

२१.२.१६
शैतान पोती
छुपा दादी का चश्मा
मांगे फिरौती
    -अभिषेक जैन
काट ले गया
लकडहारा वक्त
उम्र दरख़्त
    -महिमा वर्मा
२२. २. १६
शाम का बाज़
दबोच के ले गया
धूप चिरैया
     -राजीव गोयल
घंटियाँ बाजें
मंदिर में आरती
देवता मौन
      -जितेन्द्र वर्माँ
चनिया चोली
भू धारे सतरंगी
रचे रंगोली
    -विभा रानी श्रीवास्तव

२३..२.१६
तरु तन से
प्रेयसी सी लिपटी
कोमल लता
     -संतोष कुमार
उतार फेंके
पत्तों के आवरण
गईं सर्दियाँ
    -प्रियंका वाजपेयी
प्रकृति सजे
ऋतुराज आकर
श्रृंगार करे
    -राजीव निगम राज
छोटे कदम
पहुंचाएंगे हमें
बड़ी मंजिल
     जितेन्द्र वर्मा
मन उदास
मरीचिका जीवन
सुख की आस
     -तुकाराम खिल्लारे
आया बसंत
हुआ फिर आबाद
हर दरख़्त
     -राजीव गोयल
अग्नि अग्नि है
काम, प्यार , जठर
तांडवकारी
    -कैलाश कल्ला

२४.२.१६
धूप में छाँव
सर्दियों में अलाव
है माँ का नाम
     -राजीव गोयल
पकता प्यार
समय अलाव में
सोंधी महक
      -जितेन्द्र वर्मा
कहीं है कोई
आशाओं की किरण
दुःख के बीच
     -प्रियंका वाजपेयी

२५ .२.१६
भौंरे बावरे
प्रणय रस डूबे
फागुन आ रे
     -राजीव निगम 'राज'
बावन हफ्ते
हैं ताश के पत्ते
हरेक जुदा
      -राजीव गोयल
दूरियाँ मिटीं
सिकुड़ गए हम
खुशियाँ बंटी
      -अभिषेक जैन

२६. २.१६
हया फरार
गुमशुदा संस्कार
रोये संस्कृति
     -अभिषेक जैन
मोती हैं हम
शब्दों की माला
भावना डोरी
     -प्रियंका वाजपेयी
खोली डायरी
वक्त भागने लगा
उलटे पाँव
     -राजीव गोयल

२७.२.१६
बच्चों का खाया
बिखरा पडा ज़र्दा
गेंदे की क्यारी
      -विभा श्रीवास्तव
सो गई रात
देख भोर का तारा
जागी सुबह
      -राजीव गोयल
डूब रहा मैं
जग के समुद्र में
ढूँढू तिनका
      -राजीव गोयल

२८.२,१६
 लौट के आए
दिगंबर तरु के
प्रवासी पूत
     -विभा रानी श्रीवास्तव
बेटियाँ लूटीं
बेदर्दी उपद्रवी
कौन बचाए
      -प्रीती दक्ष
स्नेह का घृत
रूह की भीगी बाती
पर्यंत चले
      -प्रियंका वाजपेयी

२९.२.१६
भोर की बेला
ठंडी पवन छुए
अंतरमन
     -प्रियंका वाजपेयी
जीवन नाव
प्रेम की पतवार
उतारे पार
      -कैलाश कल्ला
मयूर पंख
मन चढा अटारी
पड़े फुहार
     - कन्हैया







2 टिप्‍पणियां:

  1. आपके मेहनत को नमन _/\_

    सभी हाइकुकारों को बधाई

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  2. आप हमेशा यू ही प्रोत्साहित करते रहे व् सिखाते रहे ,...आपका हार्दिक आभार

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